आलसी गधा और व्यापारी की कहानी

आलसी गधा और व्यापारी की कहानी

यह कहानी एक ऐसे गधे की है, जो अपने मालिक से बहुत प्यार करता था लेकिन आलस की वजह से काम करने से बचता था। कई बार गधे के आलसीपन ने व्यापारी का बहुत नुकसान भी कराया था। लेकिन जब व्यापारी ने अपनी समझदारी से गधे की योजनाओं पर पानी फेरा तो उसे अपनी गलती नजर आने लगी और उसने अपने आलसपन को हमेशा के लिए त्याग दिया। इस कहानी में आलसीपन से जुड़े नकरात्मक पहलुओं को बताया गया है कि कैसे आपका आलस आपको खुद ही मुसीबत में डाल देता है। साथ ही इसमें व्यापारी की समझदारी की प्रशंसा भी की गई है कि उसने अपने दिमाग से गधे को सबक सिखाया। ऐसी कहानियां मनोरंजन से भरी होती हैं और बच्चे भी इन्हें बेहद खुश होकर पढ़ते हैं। ऐसी ही मजेदार और नैतिकपूर्ण कहानियों के लिए हमसे जुड़े रहें।

आलसी गधा और व्यापारी

भड़कपुर नाम के गांव मे एक गरीब व्यापारी अपने गधे के साथ रहता था। उस व्यापारी का घर बाजार से काफी दूर था। वह अपने सामान की बोरियां बाजार तक पहुंचाने के लिए गधे की मदद लेता था, वह सामान को गधे की पीठ पर लादकर ले जाया करता था। व्यापारी एक बहुत ही अच्छा और दयावान इंसान था और अपने गधे का भी बहुत ख्याल रखा करता था। गधा भी अपने मालिक को बहुत चाहता था। लेकिन गधे में एक बुरी आदत थी, वह था उसका आलसीपन। गधा कोई भी काम नहीं करना चाहता था, उसे बैठकर खाना और सोना पसंद था।

एक दिन व्यापारी को जानकारी मिली कि बाजार में नमक की बहुत मांग हो रही है। इसलिए उसने बाजार में नमक बेचने की योजना बनाई। जैसे ही बाजार लगने का दिन करीब आया, व्यापारी अपने गधे पर नमक की 4 बोरियां लादकर बाजार जाने के लिए तैयार हो गया। व्यापारी को पता था कि उसका गधा आलसीपन जरूर दिखाएगा इसलिए उसने गधे को चलने के लिए एक-दो बार धक्का दिया और गधा चलने लगा। नमक की भारी बोरियों की वजह से गधे को चलने में परेशानी हो रही थी और उसके पैर भी कांपने लगे थे। लेकिन इसके बावजूद व्यापारी गधे को किसी तरह आधे रास्ते लेकर आ गया।

वहां व्यापारी के घर और बाजार के बीच एक नदी पड़ती थी, जिसे पुल की मदद से पार किया जाता था। गधा पुल पर चढ़ा और कुछ ही देर में उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर पड़ा।

गधा नदी में जैसे ही गिरा, व्यापारी घबरा गया और हड़बड़ी में तैरते हुए उसे नदी से निकालने के लिए पहुंच गया। व्यापारी ने मेहनत कर के अपने गधे को नदी से बाहर निकाल लिया। जैसे ही गधा नदी से बाहर निकला उसकी पीठ पर लदा हुआ वजन कम हो गया था। ऐसा इसलिए हुआ की जब गधा नदी में गिरा तो पानी में नमक घुल गया। ये देखकर व्यापारी हताश होकर वापस घर लौटकर आ गया। इस घटना की वजह से व्यापारी को बहुत नुकसान भी हुआ, पर आलसी गधे को नई तरकीब सूझ चुकी थी और हर बार ऐसे ही करने की योजना बनाई।

अगले दिन बाजार जाते वक्त जब नदी पार करने के लिए गधा पुल पर चढ़ा तो वह जानबूझकर नदी में गिर गया और उसकी पीठ पर बंधी बोरियों का सारा नमक पानी में घुल गया। व्यापारी एक बार फिर घर लौटकर आ गया। आलसी गधा ये तरकीब रोज अपनाने लगा, जिसके कारण व्यापारी का बहुत नुकसान हो रहा था। लेकिन एक समय बाद व्यापारी को गधे की चाल समझ में आने लगी और इसको सुधारने के लिए उसने एक योजना बनाया।

व्यापारी ने तरकीब निकाली कि इसकी पीठ पर एक सामान लादे जो पानी में जाकर और अधिक भारी हो जाए। व्यापारी ने गधे की पीठ पर रुई की बोरियां बांध दी और उसे बाजार लेकर चल दिया।

जैसे ही गधा पुल के पास पहुंचा, उसने रोज की तरह नदी में गिरने का नाटक किया। लेकिन इस बार उसकी तरकीब उसपर ही भारी पड़ गई। क्योंकि पानी में जाने के बाद रुई की बोरियों का वजन दो गुना हो गया था। यह बात गधा समझ नहीं पाया था। गधे के साथ ऐसा लगातार 2-3 दिनों तक होता रहा। वो नदी में गिरता और उसकी पीठ पर लदा हुआ वजन बढ़ जाता। अंत में गधे ने हार मान ली।

गधे को अपनी हरकतों का सबक मिल गया था। जब चौथे दिन व्यापारी और वह बाजार के लिए निकले, तो गधे ने नदी को पार करने वाला पुल शांति से पार किया। उस दिन के बाद से गधे ने अपने आलसीपन को त्याग दिया और अच्छे से काम करना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से व्यापारी को अपने नुकसान की भरपाई करना आसान हो गया।

सीख (Moral of The Story)
कहानी से हमें बहुत अच्छी नैतिक शिक्षा मिलती है कि हमें आलस नहीं करनी चाहिए और इसलिए यह कहानी नैतिक कहानियों में आती है

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. आलसी गधे की नैतिक कहानी क्या है?
आलसी गधे की नैतिक कहानी ये है कि आलस से आपको कुछ भी हासिल नहीं होगा और कई बार आपका आलसीपन आपको खुद ही मुसीबत में डाल सकता है।

2. हमें जीवन में आलसी क्यों नहीं होना चाहिए?
जीवन जीने का सबका अपना तरीका होता है, लेकिन यदि आपको जिंदगी में बेहतर बनना है, कुछ हासिल करना है तो आपको आलस का त्याग करना पड़ेगा। कई बार लोग अपने आलसी स्वाभाव की वजह से कई महत्वपूर्ण अवसरों को खो देते हैं। इसलिए आलस करने से बचे ताकि समय के साथ आप एक सफल व्यक्ति बन पाएं।

निष्कर्ष (Conclusion)
आलसी गधे की यह कहानी मनोरंजक होने के साथ साथ एक सबक के रूप में पेश की गई है। बच्चे भी इस कहानी से बहुत कुछ सीखेंगे और माता-पिता भी उन्हें इससे आलस क्यों नहीं करना चाहिए उसका बेहतरीन उदहारण इस कहानी के जरिए दे सकते हैं। ताकि जीवन में आगे चलकर कभी उन्हें अपने आलस के कारण कोई दिक्कत न हो। ऐसी कहानियां बच्चों की फेवरेट होती हैं और वह इन्हें रात में सोने से पहले जरूर सुनना चाहते हैं। हम आशा करते है आपको ये कहानी आपके बच्चे के लिए मनोरंजक और नैतिकता से भरी हुई लगी होगी।

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