नकल करो मगर अकल से

नकल करो मगर अकल से

नकल करो मगर अकल से

यह एक मजेदार और शिक्षाप्रद कहानी है! बंदर ने न केवल उस व्यक्ति की नकल करके उसका मनोरंजन किया, बल्कि अंत में उससे भी ज्यादा समझदारी दिखाकर पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश दे दिया। यह हमें सिखाता है कि किसी भी छोटी-सी क्रिया का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, चाहे वह एक केला का छिलका सही जगह पर डालना ही क्यों न हो।

नकल करो मगर अकल से : Nakal Karo Magar Akal Se

एक बंदर सड़क के किनारे पेड़ पर बैठा हुआ था।

वह बहुत भूखा था।

तभी एक व्यक्ति केलों का एक गुच्छा लेकर पेड़ के नीचे आकर बैठ गया।

बंदर ने ऊपर से केले देखे तो खाने का मन करने लगा। उसने मौका देखकर चुपके से एक केला अपने लिए ले लिया।

उस व्यक्ति को अभी तक पता ही नहीं चल पाया था कि बंदर उसका केला ले गया है। उसने अपने लिए केला उठाया और छिला।

तभी उसने बंदर को देखा।

उसके हाथ में केला देखकर वह समझ गया कि बंदर ने उसका केला ले लिया है। उसे बहुत गुस्सा आया।

बंदर ने देखा कि वह व्यक्ति केला छील रहा है तो उसने भी केला छील लिया।

व्यक्ति ने केला खाना शुरू किया। बंदर ने भी केला खाया।

उस व्यक्ति ने बंदर को देखकर तरह-तरह के मुँह बनाए।

बंदर ने भी वैसे ही मुंह बनाए। केला खत्म होने पर व्यक्ति ने छिलका जमीन पर फेंक दिया।

नकलची बंदर हर बात की नकल कर रहा था।

लेकिन इस बार उसने उस व्यक्ति की नकल नहीं की। बल्कि वह पेड़ से उतरकर आया और छिलका पास में रखे एक कूड़ेदान में डाल दिया।

फिर उस व्यक्ति की ओर गुस्से से देखा और पेड़ पर चढ़ा गया।

जरा सोचो, कितनी शर्म आई होगी उस व्यक्ति को।

सीख (Moral of The Story)
इस कहानी का नैतिक संदेश यह है कि पर्यावरण की देखभाल हमारी जिम्मेदारी है। हमें अपने कार्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए, चाहे वह छोटी चीजें जैसे कूड़ा कूड़ेदान में डालना ही क्यों न हो। यह संदेश हमें बंदर की समझदारी से मिलता है, जिसने दिखाया कि हर किसी को अपने हिस्से का काम करना चाहिए।

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