राजा और जाहिल बंदर की कहानी

राजा और जाहिल बंदर की कहानी

यह कहानी एक मूर्ख बंदर की है, जो अपनी मूर्खता के चलते अपने प्रिय राजा की जान लेने पर उतर आता है। बंदर हमेशा राजा को खुश करने में लगा रहता था जिसकी वजह से वह बंदर पर बहुत विश्वास करने लगा। एक दिन जब राजा आराम कर रहे थे तभी उनके कमरे में मक्खी आ जाती है, और इस प्रकार एक अद्भुत और मजेदार कहानी की शुरुआत होती है। आइए जानते हैं कि बंदर ने फिर क्या किया। ऐसी कहानियां पढ़ने और सुनने में बहुत मजेदार होती है और इनमें हमारे बच्चों के लिए एक सीख भी छुपी होती है। ऐसी ही मजेदार और नैतिकपूर्ण कहानियों के लिए हमसे जुड़े रहें।

राजा और जाहिल बंदर :-

एक बार की बात है, एक राजा था जिसके पास एक बंदर था। वो बंदर राजा की बहुत सेवा करता और उन्हें हमेशा खुश रखने का प्रयास करता था, राजा बंदर का अपने प्रति यह समर्पण देख कर उस पर बहुत विश्वास करने लगता है। बंदर भी राजा की सेवा में कोई कमी न रखता। लेकिन बंदर कम बुद्धि का था। उसे जो भी काम बताया जाए वो ठीक तरह से नहीं समझ पाता था।

एक दिन राजा अपने आराम घर में विश्राम कर रहे थे और हमेशा की तरह बंदर उनके साथ राजा की सेवा करने के लिए हाजिर था। राजा आराम कर रहे थे और बंदर उन्हें पंखा कर रहा था। तभी अचानक एक मक्खी राजा के कक्ष में आ जाती है और राजा के ऊपर आकर बैठ जाती है। बंदर उसे पंखे से हटाने की कोशिश करता है, लेकिन मक्खी बंदर को परेशान करने लगती है और कभी राजा के सिर पर, कभी चेहरे पर तो कभी शरीर पर जाकर बैठ जाती है।

बंदर अपनी लाख कोशिश के बाद भी मक्खी को वहां से भगाने में असफल रहता है। और गुस्से में आकर मक्खी को मारने के लिए तलवार उठा लेता है। बंदर राजा की छाती पर कूद कर बैठ जाता है, ताकि राजा के माथे पर जो मक्खी बैठी है उसे मार सके, जैसे ही वो मारने के लिए तलवार उठाता है मक्खी उड़ जाती है और राजा के सिर पर जा कर बैठ जाती है और जैसे ही बंदर उसे मारने के तलवार चलाता मक्खी फिर उड़ जाती है लेकिन राजा के बाल कट जाते हैं। अब वो जा कर राजा के मुंह पर बैठ जाती है, बंदर फिर तलवार चलाता है तो इस बार राजा की मूछें ही कट जाती हैं।

यह देख कर राजा बहुत घबरा जाता है और अपने कक्ष से बाहर निकल कर भागने लगता है। बंदर भी उनके पीछे-पीछे भागता है और पूरे राज महल में हंगामा और शोर मच जाता है और राजा सोचते हैं यह किस मूर्ख बंदर से मेरा पाला पड़ गया है।

सीख (Moral of The Story)
राजा और मूर्ख बंदर की कहानी पंचतंत्र की मजेदार कहानियों में आती है। इससे हमें अच्छी नैतिक शिक्षा भी मिलती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. राजा और मूर्ख बंदर की नैतिक कहानी क्या है?
राजा और मूर्ख गधे की नैतिक कहानी ये है कि यदि किसी मूर्ख को हम अपना साथी बनाएंगे तो उसकी मूर्खता का परिणाम हमें भी भुगतना पड़ सकता है। इस कहानी के पात्र बंदर की मूर्खता राजा को महंगी पड़ी।

2. क्या राजा ने बंदर पर विश्वास कर के गलती की?
किसी पर भी अत्यधिक विश्वास आपको नुकसान पहुंचा सकता है। बंदर का अपने प्रति समर्पण देख कर राजा को उस पर बहुत विश्वास हो गया, लेकिन अपने मूर्ख स्वभाव के चलते बंदर ने राजा को मुश्किल में डाल दिया। इसलिए किसी पर विश्वास करना गलत नहीं है, लेकिन हमेशा जांच परख कर ही भरोसा करना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)
राजा और मुर्ख बंदर की यह बेहतरीन कहानी न सिर्फ बच्चों के लिए सीख है बल्कि इससे बड़ों को भी सीख लेना चाहिए। किसी पर बहुत जल्दी विश्वास करना हमें गंभीर रूप हानि पहुंचा सकता है। यदि किसी का स्वभाव हमारे प्रति उदार है तब भी हमें उस पर विश्वास करने के पूर्व अच्छे से जांचना और परखना चाहिए। ऐसी ही मजेदार बच्चों की कहानियों के लिए आप हमारे लेख को पढ़ते रहे और यदि आप अपनी मन पसंद किसी कहानी को पढ़ना चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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