हाथी और चूहे की अनोखी दोस्ती

हाथी और चूहे की अनोखी दोस्ती

हाथी और चूहे की अनोखी दोस्ती

यह कहानी हाथी और चूहे की दोस्ती पर आधारित है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे छोटा सा चूहा अपने साहस और चतुराई से बड़े हाथी की मदद करता है। हाथी को शिकारी के जाल से छुड़ाने में चूहे का योगदान यह सिखाता है कि हर किसी का महत्व होता है, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो। कहानी का संदेश है कि कभी-कभी छोटी चीजें भी बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

हाथी और चूहे की अनोखी दोस्ती :

एक दिन, एक हाथी गहरी नींद में सो रहा था और जोर-जोर से खर्राटे ले रहा था। खर्राटों की आवाज सुनकर पास के बिल से एक चूहा बाहर आया। उसने देखा कि सामने एक पहाड़ जैसा हाथी सो रहा था, और खर्राटों के कारण उसका बड़ा-सा पेट ऊपर-नीचे हो रहा था।

चूहे को यह देखकर बहुत मजा आया। वह धीरे-से हाथी की सूँड़ से चढ़कर पेट तक पहुँच गया और पेट पर बैठकर झूलने लगा। ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे—वह बहुत आनंद ले रहा था। तभी हाथी की नींद खुल गई। उसने अपने पेट पर चूहे को आराम से बैठा देखा और बहुत गुस्सा किया। हाथी ने जोर से अपने पेट को हिलाया, जिससे चूहा नीचे गिर गया।

हाथी गरजते हुए बोला, “बेवकूफ चूहे, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे पेट पर चढ़ने की?”

चूहा डर गया और माफी माँगने लगा। उसने हाथी से कहा, “दादा, मुझे माफ कर दीजिए। ऐसी गलती अब कभी नहीं होगी।”

हाथी को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को जाने दिया। जाते समय चूहे ने कहा, “दादा, कभी मेरी जरूरत हो तो बताइएगा। आपने मुझे माफ किया, इसके लिए धन्यवाद। मैं भी आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहूँगा।”

चूहे की बात सुनकर हाथी जोर से हँसने लगा। चूहा चुपचाप वहाँ से चला गया।

कुछ दिनों बाद, जंगल में एक शिकारी आया। चूहे ने देखा कि उसके पास बहुत सारा सामान है और वह शायद कई दिनों तक वहाँ रहने वाला है। अगले दिन, अचानक एक हाथी की जोरदार आवाज सुनाई दी। चूहे ने सुना कि कोई ‘बचाओ-बचाओ’ चिल्ला रहा है।

चूहा जल्दी-से उस ओर पहुँचा और देखा कि वही हाथी दादा शिकारी के बड़े-से जाल में फँसे हुए हैं। जाल से बाहर निकल पाना उनके लिए असंभव था।

चूहे ने हाथी को नमस्ते किया और अपने तेज दाँतों से जाल काटने लगा। थोड़ी ही देर में जाल में एक बड़ा छेद हो गया, और हाथी बाहर आ गए।

अब हाथी को समझ आया कि छोटी चीज भी कभी-कभी बड़ा काम कर सकती है।

सीख (Moral of The Story)
कहानी का संदेश हमें सिखाता है कि किसी की भी कद-काठी नहीं, बल्कि उसके काम और इरादे मायने रखते हैं।

 

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