पक्के दोस्त

यह कहानी दो विपरीत गुणों के प्रतीक—शेर की गरिमा और चूहे की विनम्रता—के बीच की दोस्ती की है। दोनों मित्रों के बीच छोटी-छोटी बातों और बाहरी हस्तक्षेप ने भ्रम पैदा किया, लेकिन जब उन्होंने मिलकर सच्चाई को उजागर किया, तो उनका आपसी विश्वास और मजबूत हो गया। लोमड़ी की चतुराई उन्हें जोड़ने का कारक बन गई, जिसने दिखाया कि बाहरी हस्तक्षेप से सच्ची दोस्ती कभी नहीं टूटती।
पक्के दोस्त :
एक घने जंगल में शेर और चूहा एक-दूसरे के घनिष्ठ मित्र थे। दोनों के निवास इतने नजदीकी थे कि अक्सर वे साथ खेलते, एक-दूसरे से बातें करते और अपने दिन बिताते।
एक दिन शेर को जब भव्य शिकार मिला, तो उसने खुशी में चूहे को बुलाया और कहा, “दोस्त, चल मेरे साथ इस भोज का आनंद लेते हैं। तुम अपना मनपसंद भोजन खाओ, मुझे तो आज और भी जरूरी काम पूरे करने हैं।”
लेकिन जैसे ही शेर ने यह निमंत्रण दिया, बाहर से अजीब सी आवाज़ सुनाई दी, जिससे शेर का मन असहज हो गया।
अगले ही दिन, चूहे को शहद का एक डिब्बा भाग्य से मिल गया। चूहा भी शेर के पास गया और उनसे तुरंत कहा, “मित्र, आओ मेरे साथ इस मीठे शहद का स्वाद लेते हैं।”
फिर भी, बाहर से कुछ अस्पष्ट उत्तर आने पर चूहे का मन भी उदास हो गया। उसने कोई कड़वा जवाब न दिया, पर भीतर ही भीतर उसे ठेस पहुँची।
कुछ दिनों बाद जब दोनों जंगल में एकत्र हुए, तो उन्होंने महसूस किया कि पिछली बार कोई तो था जिसने उनकी बातचीत में बाधा डाली। शेर ने याद किया कि उसने चूहे से जो कहा था, उस पर कोई असम्मानजनक प्रतिक्रिया नहीं आई थी; इसी प्रकार चूहे ने भी कुछ ना बोला था। मिलकर उन्होंने विचार किया कि कोई बाहरी हस्तक्षेप उनके मधुर संबंध को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
अचानक, दोनों ने किसी की घबराहट में भागने की आवाज़ सुनी। नजर उठाने पर वे देखते हैं कि चालाक लोमड़ी चुपके से भाग रही है। शेर ने गुस्से में दौड़ लगाई और लोमड़ी को पकड़ लिया। उस पर शेर ने कठोर स्वर में कहा, “आज रात के खाने में तुम्हारा अकर्मण्य अपराध स्वीकार नहीं किया जाएगा। तुम माफी माँगो और अपनी गलती की सज़ा अदा करो।”
फिर शेर ने लोमड़ी से आदेश दिया कि वह बैठकर एक हजार बार यह वाक्य दोहराए, “मैं अब किसी को तंग नहीं करूँगी।” डर के मारे लोमड़ी ने वह वाक्य दोहराना शुरू कर दिया।
उस रात, भोजन के बाद भी शेर और चूहे की दोस्ती और भी पक्की हो गई, क्योंकि उन्होंने मिलकर अपनी मित्रता पर आक्रमण करने वाले असली दोषी को उजागर कर दिया था।
सीख (Moral of The Story)
सच्ची मित्रता में विश्वास और एकता: यह कहानी हमें यह संदेश देती है कि दोस्तों के बीच की समझ और सहयोग किसी भी बाहरी विघ्न या गलतफहमी को दूर कर सकते हैं। जब हम एक दूसरे पर विश्वास रखते हैं और मिलकर किसी चुनौती का सामना करते हैं, तो हमारी दोस्ती और भी प्रगाढ़ हो जाती है।बाहरी हस्तक्षेप से सावधान रहें: कभी-कभी कोई तृतीय पक्ष हमारी दोस्ती में कटुता भरने का प्रयास करता है, लेकिन सच्चे मित्र अपने रिश्ते की मजबूती से उस हस्तक्षेप को देखते ही समझ जाते हैं और उसे दूर कर देते हैं।
अंत में, शेर और चूहे की दोस्ती ने साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते।